Friday, July 26, 2024

फ़ेक एनकाउंटर की समस्या और भारत

 

कुछ महीनों पहले हैदराबाद पुलिस द्वारा बलात्कार के आरोपियों के एनकाउंटर का मामला अभी ठंडा नही हुआ था कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा “विकास दूबे ” के एनकाउंटर ने एक बार फिर से देश में अपराध न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं ।

  • मानवाधिकार आयोग के अनुसार साल 2015 से मार्च 2019 तक देश में 211 फ़ेक एनकाउंटर की रिपोर्ट सामने आई है ।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार देश के न्यायलयों में लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित थें ।

एक अपराधिक मामलें की जांच में पहुंची यूपी पुलिस पर हुई अचानक गोलीबारी में एक डीएसपी सहित 8 पुलिसवालों की मौत हो गई थी । इसके बाद हुई पुलिस कार्यवाही में एक – एक कर के “विकास दूबे ” सहित 6 अपराधियों की मौत पुलिस एनकाउंटर में हो गई । लेकिन देखने वाली बात यह रही की इन सभी एनकाउंटर के कारण पुलिस ने लगभग एक समान दिए । जैसे हिरासत से भागना फायरिंग करना और आत्मरक्षा ही , जिससे इन पर सवाल खड़े हो रहें हैं । गौरतलब है कि हैदराबाद तथा अन्य कई एनकाउंटर में भी कारण लगभग यही देते जाते रहें हैं । इनमें से ज्यादातर जांचों में आखिर में पुलिस को क्लीनचिट ही मिली है ।

हमेशा की तरह इस बार भी कई लोग इसे फ़ेक एनकाउंटर तथा मावधिकार के उल्लंघन बता रहे हैं। तो वहीं कोई लोग इसकी सराहना कर रहें हैं तथा इसे उचित न्याय बता रहें हैं । लेकिन विरोध और सराहना के सबसे बड़ा प्रश्नचिन्ह देश की न्याय प्रणाली पर लगा है । जन सराहना के हिसाब से की जा रही कार्यवाही ने देश की न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल खड़े किएं हैं ।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 से मार्च 2019 तक देश में 211 फ़ेक एनकाउंटर की रिपोर्ट सामने आई हैं । इसके अलावा देश ने पहले भी कई फ़ेक व विवादित एनकाउंटर केस देखें हैं। उदाहरण स्वरूप 2006 का लखन भैया एनकाउंटर केस । इन सब कारणों की वजह से देश रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 126 देशों में भारत का स्थान 68वां हैं ।

कारण -:

जानकारों की माने तो इन फ़ेक एनकाउंटर के पीछे जन सराहना की एक बड़ी भूमिका होती है । इसका प्रमुख कारण देश की धीमी न्याय प्रणाली को माना जाता है । आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार देश के न्यायलयों में लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित थे जो अब तक और ज्यादा होने की उम्मीद है । अपराधियों को सज़ा मिलने में देरी व सरल जमानत प्रावधानों , कम सजा आदि बड़ी समस्या है। इसकी वजह से जनता का भरोसा इन दिनों न्यायलयों से कम होकर त्वरित कार्यवाही पर पर ज्यादा होने लगा है । वहीँ कई पक्ष इसके पीछे की वजह हमेशा किसी राज पर पर्दा डालने को बताते हैं ।

उपाय –:

देश के भीतर बढ़ती एनकाउंटर प्रथा व इसे मिलती जन सराहना खतरे के संकेत देती दिखती है। इसे रोकने के लिए बड़े पुलिस व न्यायिक सुधार किए जाने की आवश्यकता है । वर्तमान में देश में 10 लाख लोगों के ऊपर मात्र 18 जज हैं। जबकि विधि आयोग के अनुसार इस संख्या को 50 होना चाहिए । इसके अलावा जजों के रिक्त पड़े स्थान जो की 23% है उसे भी जल्दी भरने की आवश्यकता है ।

जनता को सिर्फ न्याय नही बल्कि जल्द से जल्द न्याय देने की व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि न्याय में देरी भी एक तरह का अन्याय ही हैं । वहीं पुलिस कार्रवाई की भी निष्पक्ष जांच की जरूरत है । इसके अलावा ब्रिटिश काल के कानून में बदलाव , न्यायतंत्र पर ज्यादा खर्च (वर्तमान में बजट का 0.08% है) आदि कर के देश के पुलिस तथा न्यायलयों को प्रभावी बनाएं जाने की ज़रूरत है। ताकि जनता का विश्वास न्यायतंत्र पर हमेशा बना रहें ।

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