Friday, April 19, 2024

भारत नेपाल सीमा विवाद

सांस्कृतिक रुप से शायद ही कोई देश भारत के इतना करीब है जितना की नेपाल । नेपाल मे लोकतंत्र की स्थापना से लेकर भुकम्प में तबाही तथा कोरोना संकट तक भारत ने नेपाल की छोटे भाई की तरह मदद की है । लेकिन साल 2015 मे हुए मधेसी आंदोलन के बाद से दोनो देशों के बीच पड़ी दरार अब और ज्यादा गहरी हो गई है ।

  • नेपाल ने नए नक्शें मे भारत के कालापानी , लिपुलेख और लिंम्पियाधुरा क्षेत्र को अपना बताया है।
  • नेपाल के पीएम के.पी ओली ने भारतीय वायरस , नकली अयोध्या जैसे कई विवादित बयान भी दिए ।

विवाद – नेपाल ने जारी किए गए नए नक्शें मे भारत के कालापानी , लिपुलेख और लिंम्पियाधुरा क्षेत्र को अपना बताया है तथा भारत को यह क्षेत्र खाली करने को कहा है । वहीं भारत ने इस दावे को बेबुनियाद बताया है । यह क्षेत्र भारत के उत्तराखंड के पिथौरागढ़ का हिस्सा है जबकि नेपाल इस पर अपना दावा करता है ।

भारत व नेपाल के बीच यह विवाद  दशकों पुराना है। लेकिन हाल ही में भारत द्वारा जम्मू – कश्मीर संशोधन विधेयक पारित किया गया। इसके बाद भारत द्वारा नया नक्शा जारी करने के बाद नेपाल ने पहली बार इसपर आक्रामक रुप से आपत्ति जताई है ।  नेपाल का कहना है कि कालापानी व अन्य दोनो क्षेत्र विवादित है। इस पर भारत ने जवाब दिया कि ये सभी क्षेत्र हमेशा से ही भारत का हिस्सा हैं और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है । वहीं भारत द्वारा हाल ही मेंं कालापानी क्षेत्र में 80 km की एक सड़क के निर्माण के बाद यह विवाद और ज्यादा गहरा हो गया है ।

महत्व – कालापानी भारत – चीन – नेपाल के तिराहे पर स्थित एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है । यह महाकाली नदी के तट पर स्थित है ।  नेपाल का दावा है कि 1816 में हुई सुगौलि की संधि के अनुसार काली नदी के पश्चिम मे भारत व पूर्व में नेपाल का क्षेत्र होगा इस कारण इस क्षेत्र पर नेपाल का हक़ है । वहीं इसपर भारत का कहना है कि सुगौलि संधि के बाद भी यह क्षेत्र भारत का हिस्सा रहा है। नेपाल जिसे नदी बता रहा है वह मुख्य नदी की एक धारा है तथा सुगौलि की संधि में इस क्षेत्र के उत्तरी हिस्से का भी निर्धारण नहीं हुआ था ।

इन विवादों के बीच नेपाल ने पहली बार भारत की सीमा के पास सेना की तैनाती की है ।

वहीं नेपाल के पीएम के.पी ओली ने भारतीय वायरस , नकली अयोध्या जैसे कई विवादित बयान भी दिए हैं । जानकारों का मानना है कि के.पी ओली की घटती लोकप्रियता , भारत के नएं मार्ग बनने के बाद होने वाला घाटा और नेपाल मे बढ़ता चीनी प्रभुत्व इस विवाद के पीछे की वजह है ।

समाधान –  हाल ही में नेपाल में आए राजनीतिक संकट के बाद उसने भारत से बातचीत से मामले को सुलझाने की अपील की है । वहीं भारत भी शुरु से ही इसी बात को दोहराता आया है । क्योंकि शायद ये बात दोनों पक्ष जानते और समझते हैं की भारत तथा नेपाल के रिश्तें सरकारों से आगे बढ़कर जनता के बीच के हैं ।

 

 

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