Saturday, July 27, 2024

गरीबों के लिए उम्मीद की किरण है – एक देश एक राशन कार्ड योजना

हरित क्रांति के आगमन के दशकों बाद भारत आज खाद्यान्न के मामले में सरप्लस (खपत से ज्यादा) की स्थिति में है। लेकिन जब हम दुनिया में भुखमरी के मामलों के आंकड़े देखते हैं तो दुनिया में भारत का स्थान 103वां है।

  • अब देश के नागरिक देश के किसी भी हिस्से में अपने हक का राशन प्राप्त कर सकते हैं ।
  • मार्च 2021 तक इसे देश की शत प्रतिशत आबादी तक पहुँचाने का लक्ष्य हैं ।

इस समस्या का मुख्य कारण देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस सिस्टम ) की खस्ता हालत को बताया जाता रहा है । इसके अलावा कोरोना संकट के इस दौर में प्रवासी नागरिकों को राशन व अनाज की दिक्कतों ने भी सरकार और व्यवस्था का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हाल ही में सरकार ने देश को “एक देश एक राशन कार्ड योजना ” की सौगात दी है ।

योजना के फायदे

इस योजना के लागू होने के बाद अब देश के नागरिक देश के किसी भी हिस्से में अपने हक का राशन प्राप्त कर सकतें हैं। जबकि इससे पहले उन्हें सिर्फ़ अपने गृह क्षेत्र में ही राशन मिल पाता था। इसकी वजह से देश में अन्य राज्यों में जाकर कार्य करने वाले प्रवासी नागरिकों को समस्या का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब इस योजना के आने के बाद से करोड़ों की संख्या में लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद हैं ।

प्रक्रिया —

इस योजना के अंतर्गत सरकार ने अगले 3 महीनों में 23 राज्यों के कुल 67 करोड़ लोगों तक लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा है । वहीं मार्च 2021 तक इसे देश की शत प्रतिशत आबादी तक पहुँचाने का लक्ष्य है । इसके लिए नागरिकों के राशन कार्ड को आधार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है । आधार में मौजूद बायोमेट्रिक से लोगों की पहचान करना आसान भी हो जाएगा ।

इसके अलावा सरकार द्वारा प्रवासियों की मदद हेतु 2 वेबपोर्टल की भी शुरुआत की जाएगी। जिसकी मदद से प्रवासियों की संख्या के अनुसार उनके क्षेत्रों तक राशन के वितरण की व्यवस्था की जा सके।

चुनौतियां —

केंद्र सरकार की यह ऐतेहासिक योजना गरीब कल्याण , भूखमरी से मुक्ति , व राशन दुकानदारों द्वारा भ्रष्टाचार के ख़ात्मे के मार्ग में एक बड़ा कदम है। लेकिन इस बड़े कदम की राह में कई चुनौतियां भी हैं –

इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण चरण है राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना जिससे राज्यों के बीच कम या ज्यादा राशन के भार को लेकर मतभेद न हो। इसके लिए एक केंद्र – राज्य समिति का निर्माण बेहतर कदम साबित हो सकता है । इसके अलावा देश के कई दूर दराज़ के हिस्सों में अब भी कई लोगों के पास आधार कार्ड उपलब्ध नहीं है। मेहनत करते हुए मजदूरों के हाथ घिस जाने से उनके बायोमेट्रिक को नुकसान पहुंचता है। इससे उनके पहचान में समस्या आ सकती है । वहीं देश में परिवहन व भंडार घर (स्टोरेज) की स्थिति भी बेहतर करने की ज़रूरत है जिससे अनाज़ का नुकसान ना हो पाए।

अगर सरकार उपरोक्त समस्याओं को भी सुलझा लेती है तो गरीब कल्याण के लिए एक नयी उम्मीद की किरण बनी यह योजना बेहतर ढंग से अपने शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब हो सकती है ।

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