एक अरसे से चले आ रहे भारत और यूएई के संबंध आज अपने सबसे बेहतर स्वरूप मे दिखाई पड़तें हैं । यूएई की जनसंख्या मे लगभग 25 लाख की आबादी भारतीय मूल के लोगों की है। इनका योगदान यूएई संपन्न बनाने मे काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है ।
- यूएई ने भारत को रेसिप्रोकल कंट्री का दर्जा दिया है ।
- यूएई ने भारत में 75 B $ के निवेश करने का वादा किया है ।
भारत और यूएई कूटनीतिक – राजनैतिक एवं व्यापारिक सभी रुप से साथ – साथ आगे बढ़ते दिखतें हैं । भारत को OIC में आमंत्रण , UN मे समर्थन , 370 पर साथ और पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देना इसका उदाहरण है । यूएई मे भारतीयों के लिए मंदिर खुलवाना व कई मौकों पर देश की इमारतों को भारतीय रंगों मे रंग देना सांस्कृतिक मेल को बढ़ावा देता है । यूएई ने भारत को रेसिप्रोकल कंट्री का दर्जा भी दिया है जिसके अनुसार अब वहां की न्यायालयों के कुछ फैसले भारत में भी लागू होंगे ।
दोनों देशो के व्यापारिक रिश्तों की बात करें तो इनके बीच 2019 तक व्यापार 60 B $ तक पहुंच गया है। भविष्य में भी यूएई ने भारत में 75 B $ का निवेश करने का वादा किया है । भारत अपनी जरूरत का 8 % तेल यूएई से मंगाता है और यहां रहने वालें भारतीय लोग भारत के विदेशी मुद्रा कोष में बड़ा योगदान देते है । हाल ही में यूएई भारतीय रुपे कार्ड को मंजूरी देने वाला तीसरा देश बन गया है ।
पश्चिमी एशिया मे यूएई जैसा साथी भारत के लिये काफी माएनें रखता हैं। हाल ही में OIC की बैठक में भारत को घेरने की पाकिस्तान की कोशिशों को भी यूएई ने झटका दे दिया था । इन सब के अलावा कोविड-19 के संकट में भी भारत ने यूएई को दवाईयां तथा नर्स भेजकर मदद की है। वहीं यूएई ने भी भारत को PPE-KIT भेज कर मदद की है ।
लेकिन दोनो देशों के रिश्तों की राह मे कई चुनौतियां भी हैं । भारत की छवि दुनिया में एक धर्मनिरपेक्ष देश की है लेकिन CAA , दिल्ली दंगे व बढ़ती मुस्लिम विरोधी घटनाएं दोनों देशों के रिश्तों मे दरार पैदा कर सकती हैं । भारत को जल्द से जल्द ऐसे कदम उठाने की जरुरत है जिससे ये समस्याएं दूर हो सकें ।