डॉ एपीजे अब्दुल कलाम या मिसाइल मैन के उपलब्धियों से तो लगभग सभी लोग परिचित हैं. पर शायद ही कोई होगा जिसे यह पता होगा कि कलाम अपने एम्प्लॉइज के लिए कैसे बॉस थे.
इस बारे में एक खिस्सा काफी मशहूर है, ये किस्सा तब का है जब कलाम इसरो संस्था में काम करते थे. इसरो के साइंटिस्ट्स एक दिन में 13 से 14 घंटे काम करते है. ऐसे में एक दिन एक साइंटिस्ट अपने बॉस से शाम 5 बजे ही घर जाने की अनुमति लेता है क्योंकि उसने अपने बच्चों को मेला घूमाने का वादा किया था.
साइंटिस्ट को अनुमति भी मिल जाती है पर वह अपने काम में इतना मग्न हो जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि शाम के पांच कब बजे और जब ध्यान आया तब तक 6 बज चुके थे, वह भागे भागे अपने घर पहुँचता है और अपनी पत्नी से अपने बच्चों के विषय में पूछता है, पूछने पर पता चलता है कि उस साइंटिस्ट के बॉस शाम के 5 बजे घर आए थे और उसके बच्चों को मेला घूमाने ले गए.
इस कहानी में बॉस और कोई नहीं बल्कि हमारे कलाम साहब थे. वो अपने एम्प्लॉई को उसके काम में डिस्टर्ब नहीं करना चाहते थे इसलिए खुद ही बच्चों को घूमाने ले गए.
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अब्दुल कलाम के ऐसे ही कुछ दस अनसुने किस्से लेकर हम आये हैं-
1. आठ साल की उम्र में अब्दुल कलाम ने अपनी पहली कमाई की थी.यह कमाई उन्होंने न्यूज़पेपर बेच के की थी.
2. ब्रह्माण्ड विज्ञान को जानने के लिए बड़े जिज्ञासु थे डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम.
3. कलाम अपने घर के बाउंडरी पर कांच के टुकड़े लगाने के साफ़ खिलाफ थे. वे कहते थे इससे पक्षियों को हानि पहुँच सकती है.
4. कलाम अपने जिंदगी में फाइटर पायलट बनना चाहते थे. पर मात्र एक स्लॉट से उनका एयर फोर्स में सेलेक्शन नहीं हो पाया.
5. अब्दुल कलाम की पहली नौकरी डीआरडीओ में बतौर साइंटिस्ट थी. यहीं उन्होंने भारतीय थल सेना को स्वयं से डिज़ाइन किया हेलीकॉप्टर दिया.
6. कलाम एक प्रख्यात लेखक थे. उन्होंने करीब 18 किताबें, 22 कवितायें और 4 गाने लिखें हैं.
7. अब्दुल कलाम को दो बार एमटीवी युथ आइकॉन भी चुना गया है.
8. जब अब्दुल कलाम आइआइटी में वहां के विद्यार्थियों से रूबरू होने गए थे तब उन्होंने वहां दी गयी कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें दी गयी कुर्सी दूसरों के मुकाबले ऊँची है, इसलिए वो उसपर नहीं बैठ सकते.
9. कलाम साहब की सबसे खास बात यह थी कि वो अपना थैंक्यू कार्ड खुद से ही लिखते थे.
10.डॉ अब्दुल कलाम ने अपने सारी तनख्वाह चैरिटी में दिया करते थे. 2015 में जब उनका स्वर्गवास हुआ तब उनके संपत्ति के तौर पर बस उनका किताब-संग्रह था, इसके अलावा कुछ भी नहीं.