आत्मनिर्भरता का आशय आत्मकेंद्रित होना बिलकुल भी नहीं है बल्कि इसका उद्दश्य देश दुनिया के विकास में भारत के सहयोग को बढ़ावा देना है ।
- सरकार ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का भी ऐलान किया ।
- इस पैकेज में RBI द्वारा पूर्व में दिए गए 8 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को भी जोड़ा गया है।
कोरोना संकट के बीच पीएम मोदी ने देश की ज़रूरत की सामाग्रियों का निर्माण देश में ही करने पर ध्यान केंद्रित करने का ऐलान किया है। वहीं इनका प्रचार प्रसार कर के इसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान का ऐलान किया है। दुनिया भर में इनकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पीएम मोदी ने “ज़ीरो डिफ़ेक्ट – ज़ीरो इफ़ेक्ट ” का मंत्र भी दिया ।
कोरोना संकट और गिरती अर्थव्यवस्था के बीच दुनिया संरक्षणवाद की नीति बढ़ती दिख रही है । इस बीच आत्मनिर्भर भारत अभियान एक मील का पत्थर माना जा रहा है । यूं तो इससे पहले भी कई बार स्वदेशी अपनाने को लेकर प्रचार प्रसार हुआ है लेकिन इस बार इसे बेहतर नीति , क्रियान्वयन और जनता के साथ से आगे बढ़ाने की योजना है ।
इस मुहिम को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 20 लाख करोड़ के एक आर्थिक पैकेज का भी ऐलान किया जिसमें शिक्षा , रोज़गार , खनिज , व्यापार व स्टार्टअप आदि पर खास ध्यान दिया गया है । हालांकि इस पैकेज में RBI द्वारा पूर्व में दिए गए 8 लाख करोड़ के पैकेज को जोड़े जाने से सरकार की आलोचना भी हुई है ।
देश में पहले से चली आ रही स्टार्टअप इंडिया , मेक इन इंडिया , स्किल इंडिया व डिजिटल इंडिया आदि योजनाएं भी आत्मनिर्भर भारत अभियान में बड़ा योगदान दे सकती है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस पैकेज में 3 लाख करोड़ रुपये का हिस्सा सूक्ष्म व लघु उद्योग के लिए रखा गया है । वहीँ नए उद्योगों के लिए भी कोलैटरल लोन की व्यवस्था की गई है ।
चुनौतियां – देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना जितना बड़ा है इसकी राह में चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी नज़र आती हैं – देश में कुशल कामगारों , बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर , नई तकनीकों की भारी कमी हैं । कंपनी शुरू करने में लालफ़ीताशाही , बढ़ते fdi , विदेशी वस्तुओं के विकल्प और कच्चे माल की कमी भी एक बड़ी समस्या है । इसके अलावा पूर्ववर्ती योजनाओं को भी सही तरीके से क्रियान्वयन कर के उन्हें परिणामोन्मुखी बनाने की आवश्यकता है। जिससे आत्मनिर्भर भारत अभियान में ये अपना पूर्ण योगदान दें सकें ।
उपरोक्त समस्याओं को सुलझाकर व अपनी बड़ी युवा आबादी का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर के भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर एक बड़ी छलांग लगा सकता है । साथ ही विश्व के विकास में अपना बड़ा योगदान दे सकता है ।