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1945 में ख़त्म हुए द्वितीय विश्व युद्ध की त्रासदी के बाद दुनिया पहली बार कोरोना जैसी भयानक त्रासदी से गुज़र रही है। इसलिए ये साफ़ है कि इस त्रासदी के बाद दुनिया में फिर से कई बड़े राजनैतिक आर्थिक व सामाजिक बदलाव देखने को मिलने वाले हैं ।

  • पूरी दुनिया में 29,442,256 केस आ चुकें हैं जिनमें 932,744 लोगों को मौतें हुई हैं ।
  •  यूएन में परिवर्तन व सुधारों की मांगे तेज़ हो गई हैं ।

कोरोना महामारी के अब तक पूरी दुनिया में 29,442,256 केस आ चुके हैं। इन में अब तक 932,744 लोगों को मौतें हुई हैं । इस संकट के कारण होने वाले आर्थिक व राजनैतिक प्रभाव की बात करें तो दुनिया में बड़े स्तर पर भूखमरी , बेरोज़गारी जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है। गौरतलब है कि विभिन्न अनुमानों के मुताबिक इस संकट से वैश्विक GDP को लगभग 9 ख़रब डॉलर तक का नुकसान होने की उम्मीद है ।

इसके अलावा दुनिया में अब वैश्वीकरण के ठीक उलट संरक्षणवाद देखने को मिल सकता है । इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के रूप में देखा जा सकता है।

वहीं चीन के ख़िलाफ़ एक तरह की मोर्चेबंदी देखने को मिल सकती है। यह ट्रेड वार से काफ़ी बड़ी होने की उम्मीद है। भारत , ब्रिटेन, अमरीका समेत कई अन्य देशों द्वारा चीनी कंपनी हुवाई जैसी कई कंपनियों , चीनी सामानों के ऊपर टैक्स – प्रतिबन्ध और चीनी एप्स पर प्रतिबंध ने इस बात को सही साबित करना शुरू कर दिया है।

चीन के ख़िलाफ़ कई देशों की गोलबंदी के बाद एक छोटे स्तर के शीत युद्ध शुरू होने की आशंका से भी इंकार नही किया जा सकता । इसका सबसे सटीक उदाहरण भारत – चीन के बीच चल रहा संघर्ष और दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती से लगाया जा सकता है ।

इस संकट के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ में भी कई परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं, अमरिका का WHO से बाहर होना । इसके चीन समर्थित होने के आरोपों ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने ही द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया को संभालने में एक बड़ी भूमिका अदा की थी। इसलिए इस बार कोरोना संकट के बाद भी यही उम्मीद की जा रही है। लेकिन वर्तमान में इसमें परिवर्तन व सुधारों की मांगे तेज़ हो गयी हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने भी इस बात को कई देशों के समक्ष उठाया है ।

वहीं अगर कोरोना संकट से होने वाले सामाजिक प्रभावों की बात करें तो दुनिया में नस्लवाद , भेदभाव व उदारीकरण के खात्मे जैसे असर देखने को मिल सकते हैं । इसका उदाहरण कई देशों में दक्षिण एशियाई लोगो के साथ हो रहे भेदभाव व भारत में भी जमाती मामले से लगाया जा सकता है ।

इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में अब डिजिटल एजुकेशन का बड़ा दौर आ सकता है। तो वहीँ स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े सुधार व पर्यावरण को लेकर सचेतना जैसी कई चीजें भी देखने को मिल सकती है । जिससे भविष्य में ऐसे किसी भी संकट से बचा जा सके ।