कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हाल ही में 2 दिन के लिए ग्वालियर-चम्बल दौरे पर आए हुए थे। राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो राहुल गांधी का ये दौरा प्रचार-प्रसार के साथ-साथ नेता कार्यकर्ताओं को एकजुट करने को लेकर भी था।दरअसल ग्वालियर-चम्बल इलाके में ज्योतिरादित्य सिंधिया का पैठ माना जाता है लेकिन इसके बावजूद भी 2013 विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से हारना ज़हन में जरुर खटकता है कि आखिर ये कैसे हो गया ?
पैठ सिंधिया की लेकिन वोट भाजपा को
साल 2013 विधानसभा चुनाव में ग्वालियर- चम्बल की 34 सीटों में से बीजेपी को 20, कांग्रेस को 12 और बसपा को 2 सीटें मिली थ। कांग्रेस के इस हार के पीछे गुटबाजी का कारण माना जाता है। दरअसल 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे कांतिलाल भूरिया सभी कोंग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में नाकाम थे, जिस तरह से आज वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
वोट का बंटवारा
2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेसीनेताओं में टिकट को लेकर नोक झोक भी हार का कारण माना जाता है। दिग्विजय सिंह चुनाव से खुद को दूर रखाथा तो सिंधिया बड़े चेहरे के रूप में सामने थे। मामला ये हुआ कि दिग्विजय के क्षेत्रमें सिंधिया प्रचार करने से दूर रहे तो सिंधिया के क्षेत्र में और दूसरे नेता दूर रहे।इस वजह से कई नेताओं ने दूसरे दल में जाना उचित समझा। नतीजा चम्बल-ग्वालियर में पैठहोने के बावजूद कांग्रेस मात्र 12 सीटें ही जीत पाई।
एकजुट करने की कोशिश
2012018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के सभी नेताओं को एकजुट करने के लिए हरसंभव प्रयास करने में जुटे हुए हैं ताकि वोट बटवारा होने से रोका जाये और 15 साल का सूखा भी ख़त्म हो. यही कारण है कि राहुल गांधी 2 दिन के लिए ग्वालियर-चम्बल दौरे पर थे। इन दो दिन के दौरे पर राहुल गांधी कई धार्मिक स्थल भी गये और रोड शो भी किए। ख़ास बात यह है कि राहुल गांधी प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को साथ लेकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इशारा साफ़ है कि इस बार राहुल गांधी किसी भी प्रकार की गुटबाजी नहीं देखना चाहते जो हार का कारण बनें।
टिकट का खेल
बहरहाल अभी यह कहना ठीक नहीं होगा कि कांग्रेस खेमे में सब कुछ ठीक ही चल रहा है। क्योंकि आने वाले दिनों में जैसे ही टिकट मिलने ना मिलने का खेल सामने आएगा एक बार फिर से 2013 जैसा माहौल देखने को मिल सकता है।
Post By- अमन तिवारी