देशभर में तेजी के साथ बढ़ रहे कोरोना केस को देखते हुए सरकार लोगों से घर में रहने की अपील कर रही है। लोगों को फीजिकल डिस्टेंस मेनटेन करने के लिए कहा जा रहा है। महामारी से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने जा रहा है। ( corona mai ki pooja )
इस बीच उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से अंधविश्वास की तस्वीरें सामने आई हैं। यहां क्या शहर, क्या गांव! गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में महामारी को दैवीय आपदा मानकर सुबह-शाम ‘कोरोना माई’ को महिलाएं जल चढ़ा रही हैं। और तर्क दिया जा रहा है कि देवी की पूजा करने से इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
9 दिन तक महिलाएं करेंगी पूजा
चाहे शहर का कोई काली मंदिर हो गांवो का, अब यहां रोजाना बड़ी संख्या में महिलाएं नजर आ रही हैं। कोरोना महामारी को भगाने के लिए महिलाएं सुबह करीब 5 बजे पानी में नीम के पत्ते डालकर देवी को चढ़ा रहीं हैं। महिलाओं के मुताबिक, रविवार को इस पूजा का 5वां दिन था। उन्हें 9 दिन तक पूजा करना है, यानि गुरुवार तक महिलाएं रोजाना ऐसा ही करेंगी। ( corona mai ki pooja )
अचानक कैसे शुरू हो गई पूजा
इस पूजा में शामिल होने वाली महिलाओं ने बताया कि गोरखनाथ इलाके के शास्त्रीपुरम में प्रसिद्ध काली मंदिर है। लक्ष्छीपुर गांव स्थित इस मंदिर के पुजारी सूरजभान के ऊपर देवी आती हैं और उन्हें भविष्य में होने वाली घटनाएं और उसे कैसे टाला जा सके, इसके उपाय भी बताती हैं।
कुछ दिनों पहले पुजारी को देवी काली ने संकेत दिया कि अगर शहर से लेकर गांव तक महिलाएं 7 से 9 दिनों तक धार और 9वें दिन उन्हें कढ़ाही चढ़ाएं, तो देवी इस महामारी को खुद में समाहित कर लेंगी। समाज कोरोना महामारी से मुक्त हो जाएगा।
7वें दिन धार और 9वें दिन चढ़ेगी कढ़ाई
पूजा करने वाली महिलाओं के मुताबिक 7वें दिन यानी आज को माता को पक्की धार (हल्दी, नारियल और गुड़) चढ़ाया गया। इसके बाद देवी को 9वें दिन कढ़ाही (हलवा-पूड़ी) चढ़ाई जाएगी। मानना है कि 7वें दिन धार चढ़ाने से देवी खुश हो जाएंगी और सातवें दिन वे सभी की प्रार्थना स्वीकार कर इस महामारी को खुद में समाहित कर दुनिया को इससे मुक्त कर देंगी।
‘वैक्सीन नहीं कर रही काम’
गांव में शुरू हुई महिलाओं की बात शहर में ऐसी फैली कि कौन कम पढ़ा-लिखा और कौन हाइली ग्रेजुएटेड। पूजा को शुरू हुए 5 दिन नहीं हुए कि खबर फैलती गई है, और ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी महिलाएं इसमें शामिल हो गईं।
शहर की महिलाओं का मानना है कि दवा या वैक्सीन से इस बीमारी से लोग ठीक नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में अब सिर्फ यही विकल्प है। सब कुछ ईश्वर के हाथों में है। हमें सनातन धर्म पर विश्वास है कि अब यह महामारी जल्द ही खत्म हो जाएगी।
आस्था या अंधविश्वास
अक्षय ज्योतिष संस्थान के पंडित रविशंकर पांडेय के मुताबिक आस्था वह होती है, जिसमें विश्वास हो। जहां पर आस्था अज्ञानता का आवरण लेती है वह अंधविश्वास होता है। कभी-कभी अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए व्यक्ति वह सबकुछ करने लगता है, जो अज्ञानता का पर्याय हो जाता है और वह अंधविश्वास हो जाता है। जब ईश्वर तक अपनी प्रार्थना पहुंचाने के लिए ऐसे रास्तों को अपनाया जाए, जिसमें लाभ कम और नुकसान होने की आशंका ज्यादा हो तो वह आस्था नहीं बल्कि अंधविश्वास का रूप धारण कर लेती है।
ईश्वर पर आस्था होनी चाहिए। इस महामारी के दौर में जरूरी है कि हम पॉजिटिव रहने के लिए ईश्वर का स्मरण करें। कई मंत्रों का जाप करें लेकिन लोगों से दूरी बनाकर। ( corona mai ki pooja )
नोट: समाचार UP अपने सभी पाठकों से अपील करता है कि वो अंधविश्वास से ऊपर उठकर इसे एक महामारी के रूप में लें और बचाव के लिए बताए जा रहे नियमों-उपायों का पालन करें।
कंटेट सोर्स – भास्कर