संसद :- देश भर में हर साल भीषण बारिश की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसे सरकार प्राकृतिक आपदा बताकर बात को टाल देती है . लेकिन वहीँ शुक्रवार को संसद में सीएजी की रिपोर्ट ने सबको चौका दिया.
सीएजी की रिपोर्ट ने सरकार की पोल खोलकर रख दी है. रिपोर्ट के अनुसार देश में निर्मित 4,862 बांधों में से सिर्फ 349 बांधो के लिए ही आपात आपदा कार्य योजना तैयार है. यानी देश के 93 प्रतिशत बाँध बाढ़ जैसी आपदा को रोकने में अक्षम है. तभी तो पूरा देश जिस बाढ़ से जूझ रहा है उसे हमे प्राकृतिक नहीं सरकारी आपदा बोलना चाहिए.
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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक( सीएजी ) ने शुक्रवार को जल संसाधन मंत्राल य को अपना रिपोर्ट सौंपा. रिपोर्ट में देश के बांधों की स्थिति साफ़ पता चलती है.
रिपार्ट के अनुसार…
- देश के 4,862 बड़े बांधों में से सिर्फ 349 बड़े बांधों के लिए ही आपदा प्रबंधन कार्य योजना तैयार है. देश के सिर्फ 7 प्रतिशत बाँध ही बाढ़ जैसी आपदा को रोकने में सक्षम हैं. वहीँ, मार्च 2016 तक मात्र एक ही बांध पर मॉक ड्रिल की गयी है.
- 17 राज्यों में से सिर्फ तीन राज्यों ने ही मानसून आने से पहले और मानसून आने के बाद बांधों की जांच पड़ताल करवायी है.
- सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश के अलग अलग राज्यों में बनी बाढ़ नियंत्रक योजना प्रभावशाली नहीं है.
- देश के 375 में से 222 स्टेशनों का परिचालन सही नहीं है. इस कारण देश के लोगों को सही समय पर बाढ़ के खतरों से आगाह नहीं किया जाता और हर साल कई जानें बाढ़ के कारण जाती है.
सीएजी ने 17 राज्यों के बाढ़ नियंत्रक योजना कि जांच की. जांच में पता चला कि अधिकतर राज्यों के पास प्रभावी बाढ़ नियंत्रक योजना तैयार ही नहीं है.
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- देश के कई राज्यों में बाढ़ प्रबंधन परियोजना को बनाने या प्रभाव में लाने में चार से तेरह सालों तक की देरी हुई है. इन राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड,असम, जम्मु कश्मीर आदि शीर्ष पर हैं.
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ प्रबंधन परियोजना के लिए दी गयी राशि का सही उपयोग नहीं किया है.
सीएजी की रिपोर्ट में बाढ़ का एक मुख्य कारण देश में प्रभावशाली बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशन की कमी को भी बताया गया है. देश में 375 बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशन है जिसमें से सिर्फ 153 स्टेशन सही से काम करते हैं.
- सीएजी की रिपोर्ट में भारत को बाढ़ के खतरे वाला देश बताया गया है. जहाँ हर वर्ष औसतन 75.5 लाख हेक्टेयर इलाका बाढ़ की चपेट में आता है और करीब 1,560 जानें जाती हैं.
- बाढ़ के कारण फसलों के बर्बाद होने, घरों के तबाह होने से लेकर जन सुविधाओं के नष्ट तक हर साल करीब 1,805 करोड़ रूपए बर्बाद होती है.
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