umaryia jila article by aman tiwari

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां भाजपा लगातार चौथी बार चुनाव जीतने के लिए कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती । तो दूसरी तरफ 15 साल के सूखा को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस पुरे जद्दोजहद में जुटी हुई है। वहीं इस बार के चुनाव में कुर्सी बचाने को लेकर भी एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। दरअसल दोनों पार्टियों में कुर्सी का मोह ऐसा है कि एक ही परिवार के एक से ज्यादा उम्मीदवार आपस में भीड़ते नजर आ रहे हैं।

परिवारवाद से पस्त भाजपा-कांग्रेस

विंध्य क्षेत्र में कुल 30 विधानससभा सीटे हैं। कहा जाता है कि विंध्य क्षेत्र के चुनावी गणित को जिसने समझ लिया वो मध्य पर राज करता है। लेकिन अबकी बार ये खेल परिवारवाद का है जिससे न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस भी परेशान है। परिवारवाद के चक्कर में भाजपा व कांग्रेस दोनों प्रत्याशी चुनने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं।

vindhya kshetra
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कुर्सी का मोह

कुर्सी का मोह कुछ ऐसा है कि रिश्ता भले ही खराब हो जाये लेकिन कुर्सी नहीं जानी चाहिए। यही कारण है कि कुर्सी बचाने के लिए कहीं बाप-बेटा-बहू चुनावी मैदान में है तो कहीं भाई-भतीजा एक दूसरे से भिड़ते नजर आ रहे हैं।

सीट एक लड़ने वाले तीन

1 – सतना जिले के रैगांव सीट से भाजपा के 3 उम्मीदवार हैं। जिसमें पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी, उनके बेटे पुष्पराज बागरी और बहू वंदना बागरी अपनी दावेदारी ठोक रही हैं।
2- सतना जिले के अमरपाटन सीट से भी भाजपा के तीन उम्मीदवार। पूर्व विधायक राम पटेल, भाई शिव पटेल और राम पटेल की बहू विजय तारा पटेल।
3 – रीवा जिले के गुढ़ सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक श्रीनिवास तिवारी जीतते थे। उनके बाद अब बेटे सूंदरलाल तिवारी विधायक हैं। वहीं इस बार उनका भतीजा विवेक तिवारी भी दावेदारी ठोक रहा।
4 – सिंगरौली जिले के चितरंगी सीट से भाजपा की मुसीबत बनी हुई है। यहां पूर्व मंत्री जगन्नाथ सिंह के बेटे डॉ रविंद्र सिंह और बहू राधा सिंह दोनों दावेदार हैं।
5 – उमरिया जिले के बांधवगढ़ से सांसद और पूर्व विधायक और उनका बेटा दोनों इस बार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
6- देवास जिले के खातेगांव-कन्नौद से कैलाश कुण्डल और उनकी पत्नी राजकुमारी कुण्डल दावेदार हैं। तो एक सीट पर श्याम होलानी और उनके बेटे मनोज होलानी दावेदार हैं।

बहरहाल आने वाले कुछ दिनों में ही कांग्रेस और भाजपा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी फिर देखना दिलचस्प होगा कि परिवारवाद में कुर्सी की लड़ाई किसके पाले में आती है।

Post By- अमन तिवारी