कभी दशकों तक राजनितिक रूप से एक दूसरे के छद्म विरोधी रहे भारत व अमरीका के संबंध आज नए आयाम पर हैं ।
- 2019 – 20 में दोनों देशों के मध्य 68 B $ का कारोबार हुआ है।
- अमरीका द्वारा भारत का जीएसपी का दर्जा ख़त्म कर दिया गया है।
भारत का सोवियत संघ के प्रति झुकाव रहा हो या पोखरण परमाणु परीक्षण के वक्त भारत पर लगाये प्रतिबंध। या फ़िर अमरीका का पाकिस्तान के प्रति झुकाव । इन सभी मुद्दों ने भारत व अमरीका के बीच हमेशा ही दूरियां बना कर रखीं थी । लेकिन 2006 में दोनों देशों के बीच हुए परमाणु समझौते के बाद से लेकर अब तक संबंधो में व्यापक परिवर्तन आया है ।
दोनों देशों के मध्य सैन्य क्षेत्र की भागीदारी की बात करें तो हाल में भारत ने अमरीका से चिनूक , अपाचे , रोमियो जैसे हेलीकॉप्टर ख़रीदे हैं । दोनों देशों के बीच 2 + 2 वार्ता भी हुई है तथा समय समय पर दोनों देश युद्धाभ्यास भी करते रहें हैं ।
आर्थिक क्षेत्र की बात करें तो आज अमरीका भारत के सामान के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार बन गया है। 2019 – 20 में दोनों देशों के मध्य 68 B $ का कारोबार हुआ है। भविष्य में दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते पर भी विचार कर रहे हैं ।
इसके अलावा राजनितिक कूटनीतिक क्षेत्र की बात करें तो दोनों देश JAI ( जापान अमरीका इंडिया ) , quad ( भारत अमरीका जापान ऑस्ट्रेलिया ) आदि समूह में भागीदार हैं । इसके अलावा अमरीका UN की स्थायी सीट , NSG में सदस्यता व G – 7 में भारत को भागीदार बनाने के लिए मदद कर रहा है । हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को रोकने के लिए भी दोनों देश साथ आ रहें हैं । चाहे अमरीका में हाउडी मोदी कार्यक्रम हो या भारत में नमस्ते ट्रम्प इन सब ने दोनों देशों को करीब लाने का काम किया है ।
वहीँ वर्तमान समय में covid महामारी से राहत में भी दोनों देशों ने जम कर भागीदारी की है ।
अमरीका ने कश्मीर से 370 हटाने के मामले में भी भारत का साथ दिया है । दोनों देशों के संबंधों का अंदाज़ा राष्ट्रपति ट्रम्प के इस बयान से लगाया जा सकता है कि – ‘भारत को व्हाइट हाउस में आज तक मुझसे अच्छा दोस्त नहीं मिला होगा’ ।
लेकिन दोनों देशों के बेहतर संबंधों की राह में कई चुनौतियां भी है, जो समय – समय पर दिखती रहती हैं । हाल मेंअमरीका द्वारा भारत का जीएसपी का दर्जा ख़त्म करना , भारतीय वस्तु पर टैक्स बढ़ाना जैसी समस्या देखने को मिली हैं । वहीँ अमरीका से बढ़ते संबंधों के मध्य रूस , ईरान जैसे पुराने मित्र देशों से भविष्य में दूरियां बढ़ने का भी ख़तरा है । इस कारण भारत को इन सब के मध्य सामंजस्य स्थापित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है ।