Jaunpur Imarti : जौनपुर की इमरती को आखिरकार दो साल के अथक प्रयास से भौगोलिक संकेत (GI) टैग मिल गया। ब्रिटिश काल से बन रही इमरती को GI मिलने से जौनपुर में खुशी की लहर है। नई पहचान से जौनपुर की मशहूर इमरती को देश और विदेश में विशेष स्थान प्राप्त होगा।
इमरती के अलावा काशी क्षेत्र के और नौ उत्पादकों को GI टैग
शनिवार को बनारस की ठंडई, शहनाई और तबला के साथ-साथ लाल पेड़ा, भरवां मिर्च और चिरईगांव का करौंदा भी GI tag मिल गया। अब बनारस के साथ-साथ यूपी, देश में सबसे ज्यादा GI उत्पाद वाला राज्य बन गया है। बनारस में जहां सबसे अधिक 32 उत्पाद GI हो गए हैं, तो राज्य में संख्या 69 तक पहुंच गई है।
बनारस परिक्षेत्र में इन उत्पादकों को मिल चुका है GI Tag
बनारस परिक्षेत्र (आस-पास के जिलों) में कई उत्पादकों को GI टैग मिल चुका है। इनमें- बनारस ब्रोकेड्स और साड़ी, बनारसी लंगड़ा आम, हैंडमेड कारपेट ऑफ भदोही, रामनगरी भंटा, बनारसी गुलाबी मीनाकारी, बनारसी पान, वाराणसी वुडेन लेकरवियर एंड ट्वायज, आदमचीनी चावल, मिर्जापुर की हैंडमेड दरी, वाराणसी ग्लास बीड्स, निजामाबाद का ब्लैक पाटरी, मऊ साड़ी, बनारस का मेटल रिपोजी क्राफ्ट, गोरखपुर का टेराकोटा, गाजीपुर की वाल हैंगिंग, बनारसी ठंडई, वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क, बनारसी तबला, चुनार का बलुआ पत्थर, बनारसी शहनाई, बनारस का लाल भरवा मिर्च, वाराणसी वुड कार्निंग।
क्या होता है GI टैग?
भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं। GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।