मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का मतदान शांतिपूर्वक तो जरूर हो गया, लेकिन मतगणना को लेकर अभी भी घमासान जारी है. एक तरफ चुनाव आयोग का दावा है कि स्ट्रांग रूम में बंद सभी EVM मशीनें सुरक्षित हैं. लेकिन इसके बाद भी डेढ़ घंटे तक सीसीटीवी बंद होना, बिजली गायब हो जाना, संदिग्ध व्यक्तियों का स्ट्रांग रूम के आस-पास देखा जाना ये सवाल जरूर उठाता है कि क्या EVM मशीनें सुरक्षित हैं.?
चुनाव ख़त्म होते ही EVM की कहानी शुरू
चुनाव ख़त्म होने के दूसरे दिन ही पहला मामला भोपाल की पुरानी जेल में बना स्ट्रांगरूम से आया. यहां करीब डेढ़ घंटे तक स्ट्रांगरूम के बाहर लगी एलईडी बंद हो गई. इसके बाद सागर से बेहद आश्चर्यजनक घटना सामने आई. यहां तो मतदान के 48 घंटे बाद EVM मशीनें मुख्यालय पर पहुंची. कांग्रेस का आरोप है कि जिस गाड़ी से ये मशीनें आई हैं उस पर नंबर भी नहीं था. इस बात की खबर जैसे ही लोगों तक पहुंची हड़कंप मच गया. कांग्रेस अध्यक्ष कमलाथ से लेकर सिंधिया तक तुरंत चुनाव आयोग से बात कर इस बात की शिकायत की. वहीं इसपर भाजपा नेताओं का कहना है कि EVM का रोना कांग्रेसी हर एक चुनाव से पहले करते आ रहे हैं.
कांग्रेसियों ने किया दिन-रात एक
15 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस को इस चुनाव से काफी आस है. मशीन के साथ कोई छेड़खानी ना हो इसलिए जहां भी स्ट्रांग रूम बना हुआ है, वहां कांग्रेसी कार्यकर्ता कड़कड़ाती ठंड के बावजूद दिन रात डटे हुए हैं. और एक गिद्ध की तरह नजर बनाए हुए हैं.
बहरहाल, इन घटनाओं के बाद चुनाव आयोग अभी भी लोगों को आश्वासन दे रहा है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है और सारे मशीने अभी भी सुरक्षित स्ट्रांग रूम में बंद हैं. लेकिन चुनाव आयोग के आश्वाशन के बावजूद जिस तरह से दो बड़े मामले सामने आए हैं उससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि मतगणना के बचे हुए दिनों में चुनाव आयोग के लिए ये टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.