सोमवार को उद्धव सरकार ने बड़ा ऐलान करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) कैटेगरी छात्रों और अभ्यर्थियों को 10% का आरक्षण देने का फैसला किया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मिले आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था और कहा था मराठा आरक्षण 50% सीमा का उल्लंघन करता है। इसी को लेकर नाराज चल रहे मराठा समुदाय के लिए सोमवार को उद्धव सरकार ने ये एलान किया।
राज्य सरकार के फैसले को SC ने न किया था खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2021 को मराठा आरक्षण के राज्य सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत का कहना था कि मराठा रिजर्वेशन के चलते आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा का उल्लंघन होगा। 5 जजों की बेंच ने कहा था कि मराठा समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने के लिए शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ा नहीं घोषित किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला
2018 में उस वक्त की महाराष्ट्र सरकार ने मराठा वर्ग को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 16% आरक्षण दिया था।
इसके पीछे जस्टिस एनजी गायकवाड़ की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाया गया था। OBC जातियों को दिए गए 27% आरक्षण से अलग दिए गए मराठा आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन हुआ, जिसमें आरक्षण की सीमा अधिकतम 50% ही रखने को कहा गया था।
अलग-अलग समुदायों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिए गए आरक्षण को मिलाकर महाराष्ट्र में करीब 75% आरक्षण हो गया था। 2001 के राज्य आरक्षण अधिनियम के बाद महाराष्ट्र में कुल आरक्षण 52% था। 12-13% मराठा कोटा के साथ राज्य में कुल आरक्षण 64-65% हो गया था।