Sunday, November 3, 2024

”अब्राह्म अकॅार्ड” के बाद एक नई करवट लेगी मध्यपूर्व एशिया की राजनीति ।

मध्यपूर्व की जटिल राजनीति अब एक नया आयाम ले रही है । व्हाईट हाऊस के ओवल हाऊस में ऐतेहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया । यूएई व बहरीन ने अब इजराइल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर व द्विपक्षीय सबंधों के ऐलान कर दिए हैं ।

  • 1979 में मिस्त्र और 1994 में जाॅर्डन ने इज़राइल के साथ समझौता किया था ।
  • भविष्य में 4-5 अन्य अरब देश इस समझौते का हिस्सा बन सकते हैं ।

अरब क्षेत्र में अब 4 ऐसे  देश हो गए हैं जिनके इज़राइल के साथ द्विपक्षीय सबंध हैं । इससे पहले 1979 में मिस्त्र और 1994 में जाॅर्डन ने इज़राइल के साथ समझौते किए थें । इस समझौते को करवाने में अमरीका की प्रमुख भूमिका रही है । इस समझौते को अब्राह्म अकॅार्ड / ‘वाशिंगटन-ब्रोकेड समझौता’ नाम दिया गया है । इस मौके पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भविष्य में 4-5 अन्य अरब देश इस समझौते का हिस्सा बन सकतें हैं ।

समझौते की मुख्य शर्तें – इस समझौते के तहत यूएई और बहरीन इज़राइल के साथ अपने द्वीपक्षीय सबंध स्थापित करेंगे । इसके बदले में इज़राइल वेस्ट बैंक को को अपने हिस्से में जोड़ने की प्रक्रिया को निलंबित कर देगा । वेस्ट बैंक इज़राइल और जॉर्डन के के बीच स्थित है क्षेत्र है । इसे इज़राइल ने 1967 में 6 दिनों तक चले अरब – इज़राइल युद्ध में इसे अपने कब्जे में ले लिया था । इज़राइल ने भविष्य में इस क्षेत्र में बस्तियां बसानी शुरु की जिसपर समय – समय पर विवाद होता अाया है ।

समझौते की वजह – इज़राइल व अरब देश लगभग आधी से एक दुसरे के दुश्मन रहें हैं। लेकिन अब इनके एक साथ आने का प्रमुख कारण मध्यपूर्व में ईरान की बढ़ती सैन्य शक्ति और प्रभाव को बताया जा रहा है । ईरान के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुए क्षेत्र में एक अरसे से नए गठबंधन के कयास लगाए जा रहें थे । अरब देशों को एक नए तथा मजबूत सैन्य सहयोगी तो वहीं इज़राइल को भी एक नए बाज़ार की ज़़रूरत थी । इस समझौते के बाद दोनों की जरूरतें पूरी होेंगी।

प्रतिक्रियाएं – इस समझौते के बाद पूरी दुनिया से कई प्रतिक्रियाएं देखने को मिली है। लगभग सभी देशों ने इस समझौते पर ख़ुशी जताई है । भारत ने कहा कि – भारत हमेशा से ही मध्य पूर्व में शांति का पक्षधर रहा है और इस समझौते का स्वागत करता है । वहीं ईरान, तुर्की और पाकिस्तान ने इसका विरोध किया है और इसे फ़लिस्तीन के साथ धोख़ा बताया है। तुर्की ने भविष्य में यूएई के साथ संबंध ख़त्म करने की भी धमकी दी है , जबकि हास्यासपद बात ये है कि तुर्की उन सबसे शुरुआती देशों में से एक है जिसका इज़राइल के साथ द्विपक्षीय संबंध हैं ।

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