समाचारयूपी:- उत्तर प्रदेश चुनाव में बुरी तरह से हारने के बाद अगर किसी की प्रतिष्ठा दांव पर है तो वो है प्रशांत किशोर। राजनीति चाणक्य कहे जाने वाले पीके हार के बाद अब अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वो कारण बतला रहे है, किस वजह से सपा-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद यूपी में ये हाल देखने मिला।
क्या था हारने का कारण:-
दरअसल एक निजी अखबार से बातचीत के दौरान उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा की पहले तो सब ठीक चल रहा था जब तक खाट सभाएं हुई तब तक मेरी बात मानी जा रही थी लेकिन उसके बाद से मेरी बातों का कोई अहमियत ही नहीं रहा। जिस वजह से आज ये दिन देखने को पड़ रहे हैं। वहीँ पंजाब में मेरी हर बात मानी गयी वो देखिये बहुमत के साथ सरकार बन गयी। अगर पार्टी मेरी नीतियों पर चुनाव लड़ती तो परिणाम कुछ और होते।
ली हार की जिम्मेदारी :-
हालाँकि हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने ये भी कहा कि अब चूँकि हम हार चुके है इसलिए मैं इस हार की जिम्मेदारी लेता हूँ। उन्होंने गठबंधन को लेकर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक तो देरी से गठबंधन होना उसके बाद 25 सीट से दोनों ही पार्टी के उम्मीदवार खड़े हो गए जिससे बीजेपी को फायदा हो गया।
पहल मौका था जब हारे:-
आपको बतादें यह पहला मौका है जब प्रशांत चुनावी रणनीतिकार रहते हुए कोई चुनाव हारे है। इससे पहले उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए मोदी को जिताने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया था। इसके बाद बिहार चुनाव में नीतीश की सरकार बनाने में भी प्रशांत किशोर का रणनीति माना जाता है।
Desh mai EVM ko lekar baval macha hua hai BJP sant bethi hai saaf jahir hai koi to gadbadi hui hai ,BJP saant bathane wali party nahi hai.