नोटबंदी के बाद से परेशानी घटने का नाम नहीं ले रहा, देश में तो समस्या हो ही रहा इसके अलावा अब दूसरे देश से लिया गया कर्ज भी लौटाने में मुश्किल खड़ी हो सकती है।
- दरअसल अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट भारत के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है। रूपये में आयी कमजोरी से भारत के लिए दूसरे देशों का कर्ज लौटाने में मुश्किल खड़ी हो सकती है। वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत को इस वित्त वर्ष में अन्य देशों को 29 अरब डॉलर और अगले वित्त वर्ष में 19.8 अरब डॉलर की उधारी लौटानी है।
आपको बतादें की नोटबंदी के बाद से रुपये में गिरावट और अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद डॉलर की बढ़त ने इस कर्ज का आंकड़ा बड़ा कर दिया है। एक तरफ ट्रंप की जीत के बाद से रुपये में 1.8 फीसदी गिरावट आ चुकी है वहीँ ट्रंप की जीत और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी के बीच विदेशी निवेशकों ने पिछले तीन महीने में भारतीय बाजार से करीब 11 अरब डॉलर निकाले गए। जानकारों का मुताबिक हाल की घटनाओं से रुपया प्रभावित नहीं होता तो ईसीबी की दिक्कत नहीं होती क्योंकि भारत में विदेशी निवेश आ रहा था।
अनुमानों के कुल विदेशी कर्ज उद्योग जगत की कुल बिक्री (बैंक और वित्तीय कंपनियां छोड़कर) का करीब 25 फीसदी है जो लीमन संकट के दौर में 15 फीसदी था। इसकी तुलना में निर्यात या विदेशी राजस्व पिछले वित्त वर्ष में 21.1 फीसदी जितना था जो वित्त वर्ष 2015 के 20.1 फीसदी से ज्यादा है। इन आंकड़ों में बैंक तथा वित्तीय, तेल और गैस कंपनियां शामिल नहीं हैं।
साभार:- indiasamvad