नोटबंदी:- 8 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार, फ़र्ज़ी नोटों जैसी सामाजिक बुराइयों के ख़ात्मे के लिए नोटबंदी की घोषणा की। लेकिन इस साहसिक कदम पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है।
- दरअसल हाल में आई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रिज़र्व बैंक के जो रिपोर्ट संसदीय समिति को सौंपा है उसमें कहा गया है कि 13 जनवरी 2017 तक रिजर्व बैंक ने 9.1 लाख रुपये मूल्य की नई करेंसी नोट जारी की मगर बाजार में उससे भी ज्यादा नए नोट चलन में आ गए। रिपोर्ट के अनुसार, उस रकम के अलावा बाज़ार में अतिरिक्त 600 अरब रुपये और आ गए हैं।
खबरों के मुताबिक PM मोदी ने सर्कुलेशन में मौजूद 177 खरब रुपए में से 154 खरब रुपए रद्द कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि इन नोटों को नए नोटों से बदल दिया जाएगा। 9 नवंबर से 13 जनवरी के बीच आरबीआई ने 55.3 खरब रुपए के नए नोट छापे और 25 अरब 19 करोड़ 70 लाख बैंक नोट सर्कुलेशन में डाले जिनका मूल्य 67.8 खरब रुपए था। 13 जनवरी तक जनता ने 97 खरब रुपए बैंक काउंटर्स और कैश डिस्पेंशिंग मशीनों से निकाले हैं। यानी सर्कुलेशन में जारी रकम 67.8 खरब से करीब 30 खरब रुपये अतिरिक्त सर्कुलेशन में आ गए।
गौरतलब है कि तो नोटबंदी के बाद रिज़र्व बैंक ने करीब 9.1 लाख करोड़ रुपये के नए नोट जारी किये थे, लेकिन जैसे सबूत मिले हैं वो सरकार के तमाम दावों पर सावलिया निशान लगा रहे हैं।