Twitter से भारतीय आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत मिली सुरक्षा का अधिकार छिन गया है। यानी कि ट्विटर पर किसी यूजर की ओर से कोई गैरकानूनी या भड़काऊ पोस्ट की जाती है तो उस संबंध में भारत में कंपनी के प्रबंध निदेशक समेत शीर्ष अधिकारियों से अब पुलिस पूछताछ कर सकेगी।
अब किसी भड़काऊ पोस्ट के लिए अधिकारियों से पुलिस पूछताछ कर सकेगी। ट्विटर के अलावा गूगल, यूट्यूब, फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों को अब भी सुरक्षा जारी रहेगी। आपको बता दें कि देश के अधिकतर लोग इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं वहीं इस पर पोस्ट होने वाली कोई भी गैरकानूनी पोस्ट लाखों की संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन उम्मीद है कि इस नियम के बाद ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
Twitter to lose its status as intermediary platform in India as it does not comply with new guidelines, it is the only social media platform among mainstream that has not adhered to new laws: Government sources
— ANI (@ANI) June 16, 2021
इसके मायने क्या हैं?
ट्विटर का लीगल प्रोटेक्शन का हटना बहुत गंभीर मसला है। अब ट्विटर भारतीय कानूनों के दायरे में आ गया है और उसे किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। साइबर लॉ एक्सपर्ट बताते हैं, “आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लीगल प्रोटेक्शन मिलता है। इसमें किसी भी आपराधिक गतिविधियों के लिए कंपनी की जिम्मेदारी नहीं होती, लेकिन अब अगर किसी कानून का उल्लंघन होता है तो उसके लिए ट्विटर के इंडिया हेड की जिम्मेदारी होगी।”
पहला केस भी दर्ज हो गया?
गाजियाबाद के एक बुजुर्ग का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कुछ लोग बुजुर्ग की पिटाई करते नजर आ रहे थे। इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में गाजियाबाद में ट्विटर के खिलाफ पहला केस भी दर्ज कर लिया गया है। एफआईआर में ट्विटर पर ‘भ्रामक कंटेंट’ नहीं हटाने का आरोप लगा है।