दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत से सरकार बन गई है। सभी 70 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 62, भारतीय जनता पार्टी को 8 वहीं कांग्रेस का एक बार फिर सूपड़ा साफ हो गया है। नतीजों के बाद बीजेपी के हार के कारणों पर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
ये है बीजेपी के हार के फैक्टर
1- चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी शुरू से लेकर आखिरी दौर तक निगेटिव प्रचार में जुटी रही। बात चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा की। सबने जीत की रणनीति में केजरीवाल को दिल्ली का खलनायक साबित करने की कोशिश की।
2- केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के पास कोई भरोसेमंद चेहरा नहीं था।
3- लगभग सभी बीजेपी के बड़े नेताओें ने शाहीन बाग प्रदर्शन को देशद्रोह साबित करने की कोशिश की और उसके खिलाफ कठोर हिन्दुत्व की बुनियाद पर बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश की लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा।
4- बीजेपी से इतर आप ने अपने चुनावी प्रचार को संतुलित और सकारात्मक रखा। बीजेपी के आक्रामक रुख के बावजूद आप ने सधी प्रतिक्रिया दी और अपना फोकस विकासवादी एजेंडे पर कायम रखा।
5- एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में बिहार और यूपी के रहने वाले पूर्वांचली वोटर्स दिल्ली की करीब 25 से 30 सीटों पर अपना असर रखते हैं। इनमें 15 पूर्वांचल बहुल सीटें हैं। यही वोटर्स 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भर-भर के वोट दिए लेकिन इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी को गच्चा दे दिए।