यूपी चुनाव से पहले नेताओं का एक पार्टी से दूसरे पार्टी में जानें का सिलसिला जारी है। इस कड़ी में बहुजन समाजवादी पार्टी की हालत सबसे ज्यादा खराब है। बीते 25 नवंबर को पार्टी के एक और दिग्गज नेताओं में शुमार बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने मायावती को पत्र लिखकर पार्टी को अलविदा कह दिया है।
पार्टी छोड़ने का सिलसिला काफी लंबा
बसपा का दामन छोड़ दूसरे पार्टी का हाथ थामने का यह सिलसिला पिछले छह महीने से जारी है। दरअसल, 2017 में विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर 19 विधायक जीत कर आए थे, जिसके बाद विधायकों ने धीरे-धीरे पार्टी छोड़ना शुरू कर दिया। आलम ये रहा कि पिछले 6 महीनों में बसपा से 15 विधायकों ने मुंह मोड़ दूसरे पार्टी में शामिल हो गए। अब पार्टी के साथ केवल 4 विधायक ही बचे हैं।
अपना दल से छोटी पार्टी बनी बसपा
प्रदेश में बसपा की हालत ये हो गई है कि पार्टी अब कांग्रेस और अपना दल भी छोटी बन गई है। फिलहाल, यूपी कांग्रेस के 7 विधायकों में एक बागी है और एक ने पार्टी छोड़ दी है। अब 6 विधायक बचे हैं। अपना दल के पास 9 विधायक हैं। सुभासपा के चार विधायक हैं। वहीं, अब बसपा के पास भी 4 ही विधायक बचे हैं। श्याम सुंदर शर्मा, उमाशंकर सिंह, विनय शंकर तिवारी और आजाद अरिमर्दन।
मायावती का गिरता सियासी ग्राफ
मायावती यूपी की सत्ता में चार बार विराजमान हुई, लेकिन 2012 के बाद से पार्टी का ग्राफ नीचे गिरना शुरू हुआ तो अभी तक थमा नहीं।
4 बार सत्ता में रही बसपा
- 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995
- 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997
- 3 मई 2002 से 26 अगस्त 2003
- 13 मई 2007 से 6 मार्च 2012
बसपा ने बदले चार प्रदेश अध्यक्ष
वर्तमान में भीम राजभर चौथे बसपा के अध्यक्ष हैं। इससे पहले मुनकाद अली, आरएस कुशवाहा और राम अचल राजभर पार्टी अध्यक्ष थे, जिनमें मुनकाद अली को छोड़कर राजभर और कुशवाहा दोनों ही बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं।
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