मोदी सरकार ने किसान कानून को वापस क्यों लिया? आसान शब्दों में समझें

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kisan bill wapas ke piche karan

PM मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया। पीएम ने संबोधन के दौरान कहा कि आगामी संसद सत्र में इस बारे में जरूरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लाख जतन के बावजूद किसानों के धड़े को समझा नहीं पाई और देशवासियों से क्षमा मांगता हूं कि हमारे ही प्रयासों में कोई कमी रही होगी।

बता दें, किसान बिल ये ऐसा मुद्दा था जिसकी वजह से केंद्र सरकार और किसानों के बीच बीते एक साल से तनातनी जारी थी। बीती 26 नवंबर 2020 से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

क्या ये मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक है ?

मोदी सरकार द्वारा अचानक लिए गए इस फैसले की टाइमिंग को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। कुछ लोगों का मानना है कि आगामी यूपी और पंजाब चुनाव को देखते हुए सरकार का ये मास्टरस्ट्रोक है। इस फैसले से सरकार उन किसानों को खुश करने की कोशिश करेगी, जो 2017 में यूपी सरकार बनाने में अहम रोल निभाए थे। विशेषज्ञों के मुताबिक पश्चिम यूपी के ज्यादातर किसान 2022 में सरकार गिराने प्रण ले लिए थे, जिस वजह से सरकार का झुकना तय माना जाने लगा था। बता दें, एक दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह को पश्चिम यूपी की भी कमान सौंपी गई थी।

Farm Laws Rollback. kisan bill wapas
farmer
किसान बिल vs पंजाब चुनाव

बिल वापस के फैसले पर सबसे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिक्रिया आई, जिसका उन्होंने स्वागत किया। साथ ही उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि आगामी पंजाब चुनाव में वह बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने वाले हैं। बता दें, पंजाब में भाजपा की सबसे पुरानी साथी अकाली दल ने इसी कानून की वजह से ही गठबंधन तोड़ने का एलान किया था।

ताजा परिणाम भी चिंता का विषय

यूपी-पंजाब के अलावा भी कई राज्यों में ये मुद्दा जमकर उछाला गया। पश्चिम बंगाल में कृषि कानून एक मुद्दा बना रहा है। इसके अलावा कई राज्यों के उप चुनाव में जो परिणाम आए सरकार को ये बात समझ आई गई कि ये उन्हें भारी पड़ रहा है।

इस फैसले से यूपी को कितना फायदा?

यूपी में सबसे ज्यादा किसानों की संख्या पश्चिम यूपी में है। यहां करीब 210 सीटों पर किसान ही जीत-हार का फैसला करते हैं। 2014 लोकसभा, 2016 यूपी चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे ये 210 सीट का योगदान काफी रहा है। यही कारण है कि भाजपा यहां के किसानों को नाराज नहीं करना चाहती थी।