प्रतापगढ़. सूबे के कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया फिर से कोर्ट के चक्कर काटने पड़ सकतें हैं ।
दरअसल कुण्डा के एक मुकदमे की फाइल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोबारा खोलने का आदेश दिया है। इस मुकदमें में पुलिस ने राजा भइया समेत नामजद आरोपितों को दोषमुक्त करार देते हुए एफआर लगा दिया था। कोर्ट ने दूसरे पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कुण्डा कोतवाल को नए सिरे से विवेचना करने का आदेश दिया है।
मामला साल 2005 में बसपा कार्यकर्ताओं पर हमला व उनकी पिटाई करने का है। इस मामले में पुलिस ने सभी नामजद आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए पुलिस मुकदमे में एफआर लगा कर बन्द कर दिया था। दूसरा पक्ष इसको लेकर लगातार कोर्ट में लड़ाई लड़ रहा था। उसी की दलीलों के बाद कोर्ट ने एफआईआर की दोबारा विवेचना का आदेश जारी किया है।
क्या था पूरा मामला…
पूर्व बसपा नेता शिव प्रकाश सेनानी ने कुंडा कोतवाली में 31 मार्च 2005 को कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को नामजद करते हुए कई अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़ित बसपा नेता का आरोप था कि इलाहाबाद के तत्कालीन बसपा नेता विधायक राजू पाल की हत्या से आक्रोशित बसपाइयों ने एस डी एम् कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर सपा सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शाशन लगाने की मांग कर रहे थे।
गौरतलब है की उसी दौरान राजा भैया के 25 समर्थकों ने जो की असलहे से लैस थे धरनारत इन बसपा के लोगों पर धरने पर बैठे लोगों पर हमला कर दिया। प्रदर्शन कर रहे पूर्व बसपा अध्यक्ष महेंद्र बौद्ध, संतोष पाण्डेय, सीताराम, नाथूराम, राकेश पाण्डेय को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया था।