समाचार:- TATA ग्रुप से सायरस मिस्त्री की अचानक विदाई को लेकर सब ये सोच में पड़ गए थे आखिर ऐसा हुआ क्या जो मिस्त्री को बाहर कर दिया गया? तो इसका तह अब धीरे-धीरे खुलता जा रहा है।
- दरअसल टाटा ग्रुप के 2 इनसाइडर्स की मानें तो मिस्त्री ने टीसीएस में टाटा ग्रुप की 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के सुझावों को अनदेखा कर दिया था।
टाटा ग्रुप की कुछ स्ट्रगलिंग कंपनियों को मदद देने के लिए 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का सुझाव दिया गया था। ये टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों की तरफ से दिए गए उन कई सुझावों में से एक था मिस्त्री ने जिनकी अनदेखी की। अगर पीक टाइम पर टीसीएस की 5 फीसदी हिस्सेदारी बेची गई होती तो ग्रुप की करीब 20,000 करोड़ रुपये मिले होते पर ऐसा नहीं हो सका।
जानकारी के मुताबिक ट्रस्टियों को ऐसा लग रहा था कि टीसीएस की हिस्सेदारी बेचने का वह सही समय था। अक्टूबर 2014 में टीसीएस के शेयर ऑल टाइम हिट पर थे।
- अनुमान के मुताबिक अगर मिस्त्री ने ट्रस्टियों की बात मानी होती और 5 फीसदी हिस्सेदारी बेची होती तो वर्तमान एक्सचेंज रेट पर कंपनी को करीब 3 बिलियन डॉलर यानी 20,000 करोड़ रुपये मिले होते।
टाटा ग्रुप पर 25 मिलियन डॉलर का कर्ज है। ऐसे में ग्रुप की दूसरी कंपनियों की ग्रोथ के लिए लिक्विडिटी का पहलू काफी अहम है, लेकिन इनसाइडर्स के मुताबिक मिस्त्री ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इन्हीं सब वजहों से मिस्त्री को विश्वास का संकट झेलना पड़ा और आखिरकार 24 अक्टूबर को उन्हें टाटा ग्रुप से निकाल दिया गया।