ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग हुए यूँ तो कई महीनें हो गए हैं। लेकिन इसकी प्रक्रिया को लेकर कई बार यह चर्चा में बना रहता है । जानकार अब भी इससे होने वाले प्रभावों का आंकलन कर रहें हैं ।
- ब्रिटेन 31 जनवरी की रात यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया था ।
- 800 से 900 भारतीय कंपनियों का मुख्यालय लन्दन में है ।
ब्रेग्जि़ट मुद्दे पर 2016 के जनमत संग्रह के बाद से शुरू हुई कोशिशों और कई राजनितिक घटनाक्रमों के बाद ब्रिटेन आख़िरकार 31 जनवरी की रात यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया था । ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने इसे एक नए युग की शुरुआत बताया था । वहीँ विश्लेषकों द्वारा इससे पड़ने वाले क्षेत्रीय व वैश्विक प्रभावों और नफ़े नुक़सान का आंकलन लगाते रहतें हैं ।
यूं तो ब्रेग्जिट का मामला केवल ब्रिटेन और ई.यू के बीच का था लेकिन इसका राजनैतिक व आर्थिक प्रभाव दुनिया पर भी देखने को मिलेगा ।
ई.यू पर प्रभाव – ब्रिटेन जैसे विकसित और महाशक्ति देश के अलग होने के बाद यूरोपियन यूनियन की ताकत/प्रभाव में कमी देखने को मिलेगी । UN में अब इसका एक स्थायी सदस्य देश कम हो जाएगा । वहीँ संयुक्त GDP में भी बड़ी कमी आएगी । अब ब्रिटेन ई.यू को सालाना 9 अरब डॉलर देने को बाध्य नहीं होगा। फ्री वीजा, FTA की सुविधा समाप्त होने के बाद इ.यू के अन्य देशों को यात्रा, व्यापार आदि पर नए टैक्स व नियम लगेंगे । इसके अलावा अब ब्रिटेन ई.यू के कानूनों को मानने को बाध्य नहीं होगा । जिन मुद्दों पर ब्रिटेन इस संघ से अलग हुआ हैं उन मुद्दों पर अब अन्य देश भी आवाजें तेज़ कर सकते हैं ।
ब्रिटेन पर प्रभाव – जानकारों की माने तो शुरूआती अवस्था में पौंड में गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं ब्रिटेन की GDP में भी 1 से 3 % तक की गिरावट हो सकती है । कई कंपनियां जिनका मुख्यालय लंदन में था वे पलायन कर सकती हैं । वहीँ अब ब्रिटेन ई.यू के अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार से वंचित हो जाएगा ।
लेकिन भविष्य व फायदे की बात करें तो अब ब्रिटेन अपने हिसाब से नई नीतियां बनाने और वैश्विक व्यापार संबंध बनाने को स्वतंत्र है । भारत, अमरीका जैसे बड़े देशों के साथ अब वह नए व मनमुताबिक समझौते कर सकेगा । वहीँ ब्रिटेन को विनिर्माण उद्योगों के शुरू होने व नए टैक्स आदि से रोज़गार व कमाई आदि में भी फायदा देखने को मिल सकता है ।
विश्व और भारत पर प्रभाव – भारत तथा अन्य देशों के लिए ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन का दरवाजा हुआ करता था । लंदन को इ.यू की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता था । लेकिन अब वो दरवाज़ा बंद हो जाएगा और अन्य देशों की कंपनियों को अब ब्रिटेन और ई.यू में अलग – अलग नियम – कानून व टैक्स का पालन करना होगा ।
भारत की बात की जाए तो लगभग 800 से 900 भारतीय कंपनियों का मुख्यालय लन्दन में है। लेकिन उन्हें भी अब अलग अलग टैक्स भरने पड़ेंगे । भारत ब्रिटेन को निर्यात ज्यादा करता है लेकिन ब्रिटेन में उद्योगों के शुरू होने के बाद इसमें कमी आ सकती है । हालांकि भारत और ब्रिटेन के बीच FTA पर भी बात हो सकती है जिससे भारत को फायदा मिलने की उम्मीद है । ब्रिटेन भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है । उम्मीद है आगे चल कर इसमें और ज्यादा बढ़त देखने को मिलेगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बल मिलें ।