Sunday, December 22, 2024

देश के किसानों की समस्याएं और सरकार के कदम…

ऐसा माना जाता है की हर समस्या का कभी न कभी कहीं न कहीं एक समाधान जरूर होता है । लेकिन यह बात देश के किसानों के परिपेक्ष्य में काफ़ी गलत साबित होती दिखाई पड़ती है ।

  • एनसीआरबी के डाटा के अनुसार बीते 2 दशकों में 3.2 लाख किसानों ने आत्महत्या की है ।
  • इस साल के बजट में  कृषि के लिए 1.60 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया हैं ।

देश में शायद ही कोई समस्या किसानों की समस्या जितनी स्थायी और टिकाऊ होती है । “जय जवान जय किसान जय विज्ञान ” के उद्घोष के बीच देश ने अब तक काफी विकास कर लिया है । लेकिन किसानों के हालात में निरंतर गिरावट ही देखी गई है ।
एक दौर में अकाल और भुख़मरी से जूझते भारत को किसानों ने अपनी मेहनत और लगन से बेहतर स्थिति में ला दिया ।लेकिन आज वही किसान अपनी बद्तर हालत की वजह से आत्महत्या करने को मज़बूर है ।
बाढ़ – सूखा , कम उपज ,फसलों के कम दाम और कर्ज व ब्याज ने किसानों की कमर तोड़ दी है ।
एनसीआरबी के डाटा के अनुसार बीते 2 दशकों में 3.2 लाख किसानों ने आत्महत्या की है । बढ़ती बदहाली से तंग आ कर किसान कई बार समय – समय पर आंदोलन भी करते रहतें हैं ।

सरकार ने इन समस्याओं को सुलझाने के लिए कई कदम उठाएं हैं । पीएम किसान सम्मान निधि , पीएम कृषि सिंचाई , इ नाम , केसीसी , फसल बीमा योजना जैसे कई कदम उठाए गएं हैं।
वहीँ राज्य सरकारों द्वारा भी कई योजनाएं और कर्ज़ माफ़ी जैेसे कदम उठाएं जाते रहें हैं । इस साल के बजट में भी कृषि के लिए 1.60 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया गया हैं । किसान रेल व किसान उड़ान योजना का ऐलान हुआ है जिससे परिवहन को तेज़ व सुगम बनाकर फसलों को खराब होने से बचाया जा सके । वहीँ किसानों के लिए एक 16 पॉइंट्स स्कीम का भी ऐलान हुआ है ।

लेकिन सरकार को इन क़दमो के अलावा अब भी कई और कदम उठाने की जरूरत है । जैविक कृषि को प्रोत्साहन , कांट्रेक्ट कृषि को बढ़ावा , बैंक ऋण को सरल बनाना , MSP में बढ़ोत्तरी और बाढ़ सूखे से निजात दिलाने के लिए नए कदम उठाने की जरूरत है । इसके अलावा समय की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू किया जाए। इसमें भूमि सुधार , कृषि को समवर्ती सूची में लाने , MSP को 1.5 गुना तक बढ़ाने जैसी कई बातें कही गई हैं ।

केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए लगभग 14.86 % प्रतिवर्ष कृषि दर की ज़रूरत है।  लेकिन वर्तमान में यह दर 2.9% है , जिससे यह लक्ष्य लगभग नामुमकिन सा लगता है । लेकिन अगर सरकार उपरोक्त उपाय और सुधारों को अपनाती है तब भी किसानों की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है ।
बदहाल स्थिति के कारण अब बड़ी संख्या में किसान कृषि छोड़ रहें हैं ।  ऐसे में समय की मांग है कि किसानों की स्थिति में सुधार हेतु क़दमों को प्राथमिकता दी जाए।  क्योंकि अन्नदाता की संपन्नता कहीं न कहीं सीधे  देश की संपन्नता से जुड़ी है ।

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