Sunday, December 22, 2024

अमरीका ईरान तनाव और भारत

वर्ष 1979 में हुए ईरानी क्रांति से शुरू हुआ अमरीका – इरान संबंधों के बुरे दौर वर्तमान मे अपने चरम सीमा पर पहुंच गएं हैं । साल के शुरुआत मे हुए एक अमरीकी मिसाईल हमले में ईरानी कुर्द सेना के प्रमुख कासिम सुलेमानी की मौत के बाद से पूरे मध्य पूर्व मे संकट के बादल छाए हुएं हैं ।

  • तनाव के बीच ईरान ने अपनी सैन्य शक्ति को बढाना शुरु कर दिया है।
  • अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने किसी उकसावे वाली हरकत पर ईरान के जहाजों को खत्म कर देनें का आदेश दिया है।

कासिम सुलेमानी की मौत  के बाद ईरान ने ईराक स्थित अमरीकी सैन्य बेसों पर अनगिनत राकेट दागे।  तनाव बढने की स्थिती मे होर्मूज़ की खाडी को बॅंद करने की भी धमकी दे डाली । तो वहीं इसके जवाब मे अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी किसी भी उकसावे वाली हरकत पर ईरान के जहाजों को  खत्म कर देनें का आदेश दे दिया ।

इससे पहले भी अमरीका ने ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ कर ईरान के ऊपर नये आर्थिक – व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिएं थे । अमरीका ने अपने सहयोगी देशों को भी ऐसे करने और न करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी । इसकी वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई और उस पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी । कुछ ही समय पहले अमरीका ने ईरान रिवाल्यूशनरी गार्ड्स को भी एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। अमरीका ईरान पर छुप कर परमाणु व मिसाईल कार्यक्रम चलाने व यमन , लेबनान जैसे देशों में आतंकी संगठनों को मदद देने का आरोप लगाता रहा रहा है ।

इस तनाव के बीच ईरान ने अपनी सैन्य शक्ति को बढाना शुरु कर दिया है जिससे पूरे मध्यपूर्व मे एक भय का माहौल बना हुआ है । इसी बढ़ते खतरे का नतीज़ा है की अब मध्यपूर्व के कई अन्य देश अब एक नए गठजोड़ की संभावनाएं तलाशने लगें हैं ।

भारत पर प्रभाव – इस तनाव का भारत पर प्रभाव की बात करें तो भारत के लिये एक असमंजस की स्थिती है । अमरीका और ईरान दोनों ही भारत के मित्र देश हैं । ईरान भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। भारत यह खरीदारी रूपए व अनाज दोनों माध्यमों से करता था।  लेकिन अब अन्य देशों से तेल का आयात करने पर भारत को घाटा होने की उम्मीद है।  भारत और ईरान बड़े साझेदार रहें हैंं लेकिन वर्तमान परिस्थिति दोनों देशों के रिश्तों में दरार पैदा कर सकती है ।इससे चाबाहार बंदरगाह जैसे कई प्रोजेक्ट पर भी ख़तरा मंडरा सकता है ।

हाल ही में ईरान के राजदूत ने भी भारत को एक महाशक्ति बताया लेकिन अपनी रीढ़ सीधी करने की सलाह दे डाली । उन्होंने यह भी अपील की कि भारत चाहे तो ईरान ओर अमरीका के बीच समझौता करवा सकता है । ऐसे में देखा जाए तो भारत के पास एक बेहतर मौका है जिससे वह अपने आर्थिक नुकसान को भी बचा सकता है और दुनिया में अपनी शक्ति का लोहा भी मनवा सकता है ।

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