जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोट बंदी को लेकर सारे जनता से सिर्फ 50 दिन का समय मांग रहें है। लेकिन नोट बंदी को लेकर उनके ही पार्टी एक नेत्री ने सरकार इस फैसले से उल्टा बयान दे रही।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी की एक वरिष्ठ नेत्री ने रविवार को कहा कि बिना तैयारी के ही सरकार ने यह घोषणा कर दी है और सरकार के इस फैसले ने आवाम को भिखारी बना दिया है।
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की पूर्व उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांता चावला ने बयान जारी कर कहा, ‘देश में काले धन के प्रवाह को बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने एक हजार और पांच सौ रूपये के नोटों को रद्द कर एक अच्छा काम किया है लेकिन देश की मौजूदा हालात देख कर ऐसा लगता है कि सरकार अभी इस निर्णय के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थी। सरकार ने बिना तैयारी के ही इस आशय की घोषणा कर दी है । मुझे लगता है कि सरकार को पहले बैंकों में पर्याप्त नोटो की आपूर्ति करानी चाहिए थी और उसके बाद मौजूदा नोटों का प्रचलन समाप्त किया जाता।’
भाजपा की इस मुखर नेता ने कहा, ‘जिन लोगों का पैसा बैंकों में जमा है उन्हें उनके आवश्यकता अनुसार धन मिलने की व्यवस्था बैंकों में होनी चाहिए थी । एक दिन में चार हजार के निर्णय ने आवाम को भिखारी बना दिया है क्योंकि उन्हें रोज कतार में खड़ा होना पड़ता है। बैंकों में और अधिक संख्या में काउंटर होने चाहिए । पर्याप्त संख्या में नोट, खास कर छोटे नोट होने चाहिए ताकि कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़े । इसके अलावा प्रति दिन दी जाने वाली राशि भी कम से कम दस हजार होनी चाहिए।