Monday, December 23, 2024

अमरीका में समानता की लड़ाई

अमरीका में पुलिस हिरासत मे हुई जाॅर्ज फ्लाॅयड की मौत के बाद बड़े स्तर पर प्रदर्शन चालू हैं।  यह प्रदर्शन कहीं – कहीं पर हिंसक भी हो गएं हैं ।

  • हिंसा के डर से राष्ट्रपति ट्रम्प को बंकर मे जाना पड़ा ।
  • वर्तमान मे कोविड 19 से हुई मौतों में भी अश्वेतों का आंकडा़ भारी है ।

1861 से 1864 तक चले अमरीकी सिवील वाॅर के खत्म होने के बाद अमरीका से दास प्रथा का अंत हुआ था। यह कदम वहां सदियों से दासता प्रताड़ना व नर्क यातना झेल रहे अश्वेतों के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था । लेकिन इसके बाद भी अमरीकी समाज मे  नस्लीय भेदभाव समय समय पर व्य़ापक स्तर पर दिखाई पड़ता रहा । लगभग 100 साल बाद मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने 1960 मे महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित हो कर नागरिक अधिकार आंदोलन का नेतृत्व किया। इसे अमरीकी इतिहास का सबसे बडा आंदोलन माना गया । इसके परिणाम स्वरूप अमरीका मे नागरिक अधिकार कानून पारित हुआ जिसके बाद अमरीकी समाज मे नस्लवाद की समस्या मे एक बड़ा बदलाव आया ।

घटना – समय – समय पर ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं जिससे यह साबित होता है कि अब भी नस्लवाद की समस्या अमरीकी समाज मे व्याप्त है । इसका सबसे नया उदाहरण अमरीका के मीनीयापोलिस शहर से शुरु हुआ ब्लैक लाईव मैटर आंदोलन है । नकली डाॅलर बेचने के आरोप मे पकड़े गए जार्ज फ्लाईड की मौत पुलिस हिरासत में घुटने से गला दबाने से हो गई। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसके बाद अमरीका के कई बडे शहरों मे आंदोलनो व  हिंसा की  शुरुआत हुई  । व्हाईट हाऊस के पास भीड़ जमा होने व हिंसा के डर से राष्ट्रपति ट्रम्प को बंकर में जाना पड़ा । आंदोलनकारी अमरीका मे पुलिस सुधार , नस्लवाद का विरोध व अश्वेतों को हक देने की मांग कर रहें हैं ।

कारण – जानकार बतातें हैं की इस आंदोलन के पीछे लोगों के भीतर लम्बे समय से व्याप्त असंतोष मुख्य कारण है । आपराधिक मामलों मे अश्वेतों की संख्या बहुत ज्यादा है तो वहीं रोजगार में बहुत कम । पुलिस द्वारा मारे गएं लोगों में भी अश्वेतों का प्रतिशत काफी ज्यादा रहता है । इसके अलावा हाॅलिवुड व अन्य संस्थानों मे भी नस्लवाद अब भी बाकी है । वर्तमान मे कोविड 19 से हुई मौतों में भी इनका आंकडा़ भारी है ।

राष्ट्रपति ट्रम्प पर भी शुरुआत से ही नस्लभेद के आरोप लगतें रहें है । आंदोलन के दौरान भी अपनी बयानबाजी के लिए उन्हें कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है । इसका असर शायद आगामी अमरीकी चुनाव में देखने को मिल सकता है । उन्होने आंदोलनकारियों को ठग बताया तथा लोगों से कानून का पालन करने की अपील की है।  साथ ही एंतीफा नाम के संगठन पर प्रतिबंध का भी ऐलान किया है ।

बहरहाल अब यह आंदोलन अमरीका से बाहर कई देशों मे फैल गया है और उम्मीद जताई जा रही है की इसके परिणाम व्यापक होंगे और कई बदलाव लेकर आएँगे ।

 

 

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