शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को सुबह उठते ही सबसे पहले अपनी हथेलियों को एक साथ जोड़कर दर्शन करना चाहिए। इसके साथ ही इस मंत्र का उच्चारण करें।

"कराग्रे वसति लक्ष्मीः,कर मध्ये सरस्वती। करमूले तू ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्।।"

इस मंत्र का अर्थ है कि हथेलियों के अग्रभाग में मां लक्ष्मी, मध्य भाग में देवी सरस्वती और मूल भाग में भगवान गोविंद यानी विष्णु का निवास है। उनके सुबह के समय दर्शन कर रहा है।

सुबह उठते ही बिस्तर में बैठे ही बैठे अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर खुली किताब की तरह कर लें। इसके बाद इस श्लोक को बोलें।

इस श्लोक का उच्चारण करने करने के बाद हथेलियों को अपने मुंह में अच्छी तरह से फेर लें। ऐसा करने से आपका शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाएगा।

इस मंत्र को बोलने के बाद बिस्तर से जमीन यानी धरती में पैर रखें। पैर रखने से पहले उसे छुएं जरूर, क्योंकि धरती मां हमारा भार उठाती है। इसके साथ ही आप चाहे, तो श्लोक का पाठ कर सकते हैं।